विशेष

-2...राम ने छड़ी मारकर मंथरा का पैर तोड़ा:बेटे की मौत का बदला लेने आई शूर्पणखा, तमिल-मराठी-तेलुगु-कन्नड़ की रामायण

राम की कहानियां देश-दुनिया में बिखरी पड़ी हैं। कहीं राम इंसान हैं, कहीं अवतार हैं, तो कहीं प्रेमी पति, जिनसे उनकी पत्नी को दूर कर दिया गया है। भाषा-संस्कृति बदलते ही राम के अलावा रामकहानी के दूसरे किरदार और उनसे जुड़ी कहानियां भी बदलती जाती हैं। बस एक चीज बनी रहती है कि राम नहीं बदलते। राम सब जगह बने रहते हैं।

 

देश के दक्षिणी-पश्चिमी हिस्से में तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मराठी भाषा में सैकड़ों राम कहानियां हैं। ऐसी कहानियां भी हैं, जो तुलसीदास की रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण में नहीं हैं।

इस सीरीज की पिछली स्टोरी में हमने आपको कश्मीरी, ओड़िया और बंगाली राम कहानियों के बारे में बताया था। राम की कहानियों को ढूंढते हुए, इस बार हम पहुंचे महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु।

 

1. महाराष्ट्र की भावार्थ रामायण
पश्चिम बंगाल में राम की कहानियां तलाश करने के बाद हम महाराष्ट्र पहुंचे। मुंबई में हमारी मुलाकात मुंबई यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और राइटर उत्कर्ष पटेल से हुई।

मराठी की राम कहानियों पर उत्कर्ष बताते हैं, ‘वाल्मीकि रामायण लिखने के 1600 साल बाद मराठी में संत एकनाथ जी ने भावार्थ रामायण लिखी थी। ये वाल्मीकि रामायण की आध्यात्मिक व्याख्या (spiritual interpretation) है। हालांकि, ये उसकी कॉपी नहीं है। एकनाथ ने इसे लिखने के दौरान किरदारों और कहानियों को उस वक्त के समाज के हिसाब से ढाला है।’

 

उत्कर्ष आगे बताते हैं, ‘भावार्थ रामायण में कई ऐसी कहानियां हैं, जो वाल्मीकि रामायण में नहीं हैं। एकनाथ को तुलसीदास के समकालीन माना जाता है। जैसे भावार्थ में दशरथ को ‘अहम आत्मा’ यानी ‘True spirit’ और कौशल्या को ‘सत विद्या’ यानी ‘True knowledge’ बताया गया है। दशरथ की दूसरी पत्नी सुमित्रा को शुद्ध विद्या यानी ‘True education’ और कैकेयी को अविद्या यानी ‘Complete ignorance’ की तरह से पेश किया है।’

राम-सीता के मिलन की कहानी को ‘True Nature’ बताया गया है, यानी दोनों का मिलना प्रकृति थी, पहले से ही तय था। इस रामायण में विवाह को सीता स्वयंवर नहीं, बल्कि रुक्मिणी स्वयंवर की तरह पेश किया गया है। सिर्फ यही एक रामायण है जिसमें तुलजापुर की मां भवानी का जिक्र आता है।’

खबरें और भी हैं...